Monday, December 6, 2010

4-एक मुलाकात भगवान से- रास्ता- विप्पसना / tatv-gyan

विप्पसना/TATV GYAN क्या है--

जीसस me pita , muslim me अल्लाह ,hinduo में नीराकार bramh,बोद्धो me निर्वाण sthiti मतलब हम सभी के परम पिता म्हाचेत्न्य से साक्षात्कार का रास्ता विप्पसना सामने है , जो एक विधि साधना है,रास्ताहै,धर्मसंप्रदाय,रिलिजन , मजहब...नही!
विप्पसना भारत की अत्यंत पुराणी साधना विधि है! यह अन्तर-मन की गह्रइयोतक जाकर आत्म-निरिक्षणद्वारा आत्म्सुद्धि कर सर्व-व्यापक भगवान की तरह सर्व-व्यापक होने कीसाधना है!अपने स्वाभाविक स्वांस के निरिक्षण सेआरम्भ करके अपने ही सरीर और मन धारा पर पल पल होने वाली परिवर्तन-शील घटनाओ को तटस्थ भाव से निरिक्षण किया जाता है! सेंसेसन (संवेदनाये) मतलब जो आपकी चेतना तक किसी भी तरह के स्पर्श जो ६ इन्द्रियों(मन नाक कान त्वचा जीभ आँख) के माध्यम सेपहुचते है !यह स्पर्श आपको सुख ++ और दुःख ++ की फीलिंगहै!जेसे ही इनको एह्सासित (भोक्ता भावः) सेकिया जाता है !इनका एक परमाणु संस्कार स्टोर हो जाता है !(एस बीजको देवीय शक्ति होल्ड करती है,जो उनके समय के अनुसार सामने आता है और आपके संवाद और फीलिंग को संचालित करता है)मरते समय यह संस्कार समूह रहता है,और किसी संस्कार का एक्टिवेशन आपकी चेतना को दुसरे जन्म की और प्रेरित करता है,क्युकी उस समय संस्कार समूह को प्रोसेस करने का सिस्टम नही होता !आपकी चेतना द्वारा सरीर लेते ही दुसरे सिस्टम से गुरु पहुचते है और फ़िर नया जन्म नई चुनोतिया नई बेहोशी और अपरिपक्वता में हुई गलतिया और उनको भोगने में पुरा जीवन गया, या कड़ी टूट टी नही है श्रंखला चलती .....
esliye इस parmanu संस्कार को बन ने ही नही देना चाहिए मतलब (अन्दर संवाद katam और arya mon) oosसुख या दुःख के product को नही लेकर,oose जान ना है tatsth rehna है,उसकी aanityta को देखना है!to इसsthti में आप कोई संस्कार नही banne दे rhe ! चेतना का food है संस्कार ! अगर vo उसे नही मिलता to voपुराने sanskaro को खाने लगती है!एक समय सारे संस्कार khtm हो jate है और नए बनते नही है!जब anity saari chije khatm हो jati है tab जो nity है vo सामने आता है!
to ये हुआ मन का निरिक्षण! पर yha मन के sath body की samvednao का भी निरिक्षण करना होता है क्युकी उनका prabhav body के sel पर भी पड़ता है, yha direct link है!
to yha sir se लेकर पाँव तक body को भी निरंतर देखते जाना है,और utpann mansik व sharirik samvednao को tatsth, anity बोध के साथ samta pust karte hue jan te jana hai aur iske nirantar pryas se sare rahsy khulte jayenge.

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