Thursday, December 9, 2010

email to you

.

MISSION--U.S.S.A ( UNITED STATES OF SOUTH ASIA )

A N D

MISSION--U.S.E ( UNITED STATES OF EARTH )
हमारे अपने
विकास में बाधक क्या है ?? - भ्रस्ट्राचार , अशांति ,अलगाव-वाद ,आतंक-वाद,युद्ध का भय ...और भी बहुत कुछ .........................................!
सब कुछ आपके हिसाब से नहीं चल रहा है !
विकास के लिए इन भयों को समूल समाप्त करना होगा.
इस भय असुरक्षा के मूल में हमारी एक भावना काम करती है - वो यह की हम अलग अलग है , हर देश अलग है , हर जाती धर्म सम्प्रदाय अलग है. - यह अलग अलग भावना हमें विकास के अलग-अलग रास्ते सुझाती है ! जो एक दुसरे को काट भी सकते है !
"यही से" अपने अलग अलग समूह ,अलग-अलग क्षेत्र की भावना शुरू होती है जो दुसरे कम शक्तिशाली समूह मे असुरक्षा पैदा करती है! बड़े स्तर पर यही भावना अलगाव-वाद ,आतंक-वाद ,युद्ध का भय आदि के रूप में सामने आती है!
अब अलग-अलग क्षेत्र ,अलग-अलग समूह की समस्या के सम्पूर्ण समाधान हेतु -- क्षेत्रो का व् हम सबका एक होना जरुरी है! जेसे ---- साउथ एशिया के क्षेत्र व् लोगो का एक होना (U.S.S.A - UNITED STATES OF SOUTH ASIA) जिस में सभी दक्षिण एशिया के देश राज्यों के रूप में हो व् अपनी एक सरकार चुनते है! उस से भी आगे सम्पूर्ण प्रथ्वी के क्षेत्रो व् लोगो का एक होना! - ( U.S.E-- UNITED STATES OF EARTH) जिस में सभी देश राज्यों के रूप में हो,व् अपनी एक सरकार चुनते है!
यही शांति , विकास व् आपसी प्रेम का रास्ता है !
विश्व-शांति का रास्ता है !

हमने बड़े बड़े लक्ष्य हासिल किये है- "जिनमे हमने शुरुआत की है "
हमें यह शुरुआत कब शुरू करनी चाहिए ? ?
और अगर आप सोचते है,शुरुआत होनी चाहिए तो हमें अपने अंतर-मन में मोजूद इस विचार को सामूहिक रूप से प्रगट व् क्रियान्वित करना चाहिए !
इस के लिए रोड-मेप( NINE POINT PROGRAMME ) व् कार्य-विधि (OSSINN..) संलग्न स्केन फ़ाइल में उपलब्ध है. उस पर आगे बड़ा जा सकता है !
अगर एसा हो सका तो हो सकता है की, बर्लिन की दीवार की तरह बाघा सीमा भी टूट जाय!
और अखंड देश - U.S.S.A ( UNITED STATES OF SOUTH ASIA ) का मार्ग प्रशस्त हो सके ! या उस से भी आगे .......... U.S.E ( UNITED STATES OF EARTH ) का सपना पूर्ण हो सके!

तो आइये शुरुआत करने के लिए अपने अंतर-मन के इस विचार को सार्वजनिक होने दे !
अधिक से अधिक लोगो को ये मेल भेजे,व् उनसे भी एसा करने का आग्रह करे !

जय अखंड भारत, U.S.S.A & U.S.E

nine point programme
management of inner and outer world

2
TOTAL TRANSPARENT SYSTEM
( पूर्णतः पार-दर्शी प्रणाली )

हमारे अपनों
देश का विकास अपेक्षित नहीं लगता !
भ्रस्ट्राचार ने जनता के विकास में लगने वाले धन को व्यर्थ कर दिया है, लगता है !
हर जगह सिस्टम जेसा कुछ दिखाई नहीं देता !
समस्या का मूल कारण खोजने पर हम पाते है ,की प्रत्यक्ष हिसाब मांगने वाला सिस्टम नहीं है, हिसाब तब मांगेगे जब हर लेन-देन की सही सही जानकारी सही समय पर हासिल होगी ! TOTAL TRANSPARENT SYSTEM ( T.T.S ) के अभाव में यह संभव नहीं है !
अगर हम T.T.S विकसित कर पाते है, तो हमारे पूर्ण विकास हासिल करने का रास्ता आसान हो जाता है !
(T.T.S विकसित कैसे करे - देंखे संलग्न फ़ाइल में दिए गए ब्लाग में)
TOTAL TRANSPARENT SYSTEM पाने के लिए ब्लॉग में दिए गए रोड मेप को सभी तक पहुचाने के लिए आप अधिक से अधिक लोगो को मेल करे व् उनसे भी एसा करने का आग्रह करे !

" हो सकता है , आपका यह छोटा सा प्रयास/योगदान एक बड़ा सिस्टम क्रिएट कर दे"



nine point programme
( management of inner and outer world)

3
जीवन-रहस्य - MISTRY OF YOUR LIFE
क्या आपको ये प्रश्न कभी नहीं कचोटता की "मै कोंन हूँ" या इधर ध्यान ही नहीं है !
कही एसा तो नहीं आप इस अनभिज्ञता में "शरीर तल से परे के लोगो के आधिपत्य में" जा रहे हो, ,अपनी मुक्त अवस्था खो रहे हो या अलग समीकरण में जा रहे हो और आपको लगता तक नहीं की एसा कोई विषय भी हो सकता है !
अगर आपको लगता है और अगर आपको नहीं लगता है दोनों ही अवस्थाओ में संलग्न फ़ाइल में दिए गये जीवन रहस्य को जीवन की अंतिम अवस्था तक सम्हाल कर रखे,उसे बार बार पड़े ,ब्लोग्स को पड़े,व् ध्यान में उतरे ! और जब भी सही लगे इसे अधिकाँश लोगो को मेल करे व् उनसे भी एसा करने का आग्रह करे !
( सेल्फ पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट कर उस तल पर आत्म-निर्भर होना रिसी-मुनियों का ही नहीं वरन आपका भी विषय क्षेत्र है )


nine point programme
management of inner and outer world



4
ELECTRONIC MONEY
( जाली नोट व् भ्रस्ट्राचार का पूर्ण समाधान)
क्या आपने कभी सोचा है हम इतने गरीब क्यों है ? देश गरीब क्यों है ? हमारे देश में अमीर व् गरीब मे इतना अंतर क्यों है ? भ्रस्ट्राचार व् नकली नोट की समस्या हमारी नाव में वो छेद है की कितना ही पानी उलीचो ,नाव डूबना ही है ! इनका समाधान क्या हो सकता है ?--->
ELECTRONIC MONEY- कल्पना कीजिये की हमारी सारी अर्थ- व्यवस्था बेंको के माध्यम से ही संचालित है , हमारे हाथ में HARD-CASH है ही नहीं ! है तो बस मोबाइल इंस्ट्रूमेंट जैसा कुछ ! अब आप उस से हर लेनदेन पर मनी ट्रांसफर कर सकते है ,जिसका पूरा हिसाब बेंक में हर मिनिट उपलब्ध रहता है ! अब ना तो काला धन हो सकता है ,और ना ही रुपयों का छिपा हुआ व्यवहार ! हर व्यवहार पारदर्शी है !
इस कल्पना को क्या सच किया जा सकता है ??
संलग्न फ़ाइल में उपलब्ध ब्लॉग को पड़े व् कार्य-प्रणाली के क्रियान्वयन से हम देर से ही सही पर इस स्तिथि को पा सकते है ! इस विचार को सभी का सामूहिक विचार बनाने के लिए आप इसे सभी लोगो को फारवर्ड करे व् उनसे भी एसा करने का आग्रह करे !

nine point programme
management of inner and outer world

5
UNUSED ASSETS AND SKILLS MANAGEMENT
( JOINT VENTURES DEVELOPMENT )
आज अगर आप गोर करे तो ३० से लेकर ८० % तक का cash balance या hard property
जेसे मकान, जमीन, वाहन आदि आदि, अधिकांश समय unused स्थिति में रहते है . उसी तरह अधिकांश समय man-power की skills ( completly या partly ) unused स्थिति में पड़ी रहती है.

अगर किसी तरह co-ordinate कर इसे working में लाया जाय, तो हर combination पर एक joint- venture खड़ा हो सकता है, और बिना किसी further investment के देश में एस तरह के लाखो joint-ventures के कारन तीव्र ओद्योगिक विकास की दिशा बन सकती है.

इसमें एक party , co-ordinater होगी,जो worker ( unused skills ) व financer / giver ( unused assets ) को work-out करके legal agreement व prosidure से working में लायेगा. जिसमे उसका certain % होगा.
दूसरी पार्टी financer / giver होगी, तथा तीसरी worker होगी.
co-ordinater का दूसरा कार्य , काम शुरू करवा कर उसे गति देते रहना ( push करते रहना ) है.
तीसरा कार्य - पुरे कार्य को system का shape देना, जिस से वह co-ordinater की absense में भी चलता रहे, गति पकड़ सके.
चोथा व अंतिम कार्य- अपने लाभ का निश्चित % सिस्टम को वसीयत करे.

अगर एसा कर सके तो बिना किसी सरकार / पार्टी / देश / बेंक की मदद के हम आर्थिक सम्पन्नता के नए आयाम स्थापित कर सकेंगे .

nine point programm
management of inner and outer world

+ + SYSTEMS DEVELOPMENT ( A PROCESS )
----------------------------------------------------------------
NINE POINT PROGRAM
A COMPLETE SYSTEM FOR INNER AND OUTER WORLD MANAGEMENT
INNER WORLD- हम खुद को कैसे खोजे ? स्य्म्व (खुद) पर अनुसन्धान व् विकास बिना किसी धार्मिक दबाब व् धार्मिक मान्यता का खंडन किये कैसे करे ?
OUTER WORLD -- हमारा ,हमारे परिवार का ,असहाय लोगो का , जीव-जन्तुओ का ,प्रक्रति का सम्पूर्ण विकास कैसे हो ? लोकल लेवल .राज्य स्तर ,रास्ट्रीय स्तर,व् अंतर-रास्ट्रीय स्तर की समस्याओं से निपटने के लिए सिस्टम कैसे बनाये जाये , व् उनका क्रियान्वयन कैसे हो ?
हम संगठित कैसे हो व् कैसे विभिन्न समस्याओ के समाधान कार्यक्रम बनाकर उनको दिशा दे.?
हम कैसे बड़े लक्ष्य तय करे ? व् उन्हें चरण-बद्ध तरीके से हासिल करे ?
जैसे - TOTAL TRANSPARENT SYSTEM,
MISSION U.S.S.A
,MISSION U.S.E,
PROGRAM FOR ADAPTION OF ELECTRONIC MONEY.........etc
यही है nine point program ( विस्तृत जानकारी के लिए ब्लॉग देंखे) जो परिभाषित न होकर विधि ( process) है , जिसमे हम संगठित होकर निश्चित दिशा तय कर सकते है की क्या व् कैसे होना चाहिए !- व उसे OSSINN... के माध्यम से सुनियिजित दिशा दे सकते है !

तो आइये संगठित होकर हजारो सिस्टम का प्रोग्राम बनाकर उसे पूर्ण करे -देश को विकसित बना दे
संगठित होने के लिए अपने अंतर्मन में मोजूद इस विचार रूपी संकल्प को सामूहिक संकल्प बन ने दे,इसके लिए अधिकतम अपनों को मेल करे व् उनसे भी एसा करने का आग्रह करे !

nine point programme
management of inner and outer world

Monday, December 6, 2010

NINE POINT PROGRAMME- MANAGEMENT OF INNER AND OUTER WORLD

2-nine point programme- management of inner and outer world
जीवन-रहस्य - MISTRY OF YOUR LIFE
--------------------------------------------
क्या आपको ये प्रश्न कभी नहीं कचोटता की "मै कोंन हूँ" या इधर ध्यान ही नहीं है !
कही एसा तो नहीं आप इस अनभिज्ञता में "शरीर तल से परे के लोगो के आधिपत्य में" जा रहे हो, ,अपनी मुक्त अवस्था खो रहे हो या अलग समीकरण में जा रहे हो और आपको लगता तक नहीं की एसा कोई विषय भी हो सकता है !

* ध्यान क्यों जरुरी है -( कही देर ना हो जाय )

आप,सर्वाधिक खतरनाक व् एसे अलग आयाम से असुरक्षित है ,जो आप जानते तक नहीं. दो जगह "आंतरिक विश्व व बाह्य" विश्व पर ध्यान देना जरुरी है तभी बचाव संभव है., लेकिन हम आंतरिक विश्व के बारे मई तो कुछ जानते ही नहीं है ??

"आंतरिक विश्व" -- अगर शारीरिक तल को छोड़ दे तो ब्रम्हांड में पुरुस (करता-ब्रम्ह) व स्त्री (शक्ति)दो की सत्ता होती है. आप को पता ही नहीं की आप शारीरिक तल के बाहर,ब्रम्ह जीव / ब्रम्ह कैसे है ?

* अनंत प्रकाश में से ज्योति (आप)आती है तो सम्पूर्ण शक्ति (स्त्री)उस पर कब्ज़ा करना चाहती है और करती है.शक्ति का अस्तित्व एजेंडा ब्रम्ह (आप) से अलग है हालाँकि जीवन रचना ( विश्व-जीवन ) निर्माण हेतु दोनों एक दुसरे के पूरक है .पर पुरुष की बेहोशी , भूलने वाली स्तिथि बनाये रखना,शक्ति के प्रयास का केंद्र होता है, जितना ज्यादा पुरुष बेहोशी व भूलने वाली स्थिति में रहेगा , माया शक्ति के विश्व की रचना उतनी ही सुगमता से होगी.

*कही एसा तो नहीं की आप के माइंड में एक केन्द्रीय स्थान होता हो.जहा पर समस्त सूक्ष्म शक्तिया आधिपत्य करना चाहती हो.व आपकी बेहोशी / भूलने वाली स्थिति में आधिपत्य करती हो ? अब वो बोलते है तो आपको लगता है आप बोल रहे हो ,अब वो संवाद करते है,तो आपको विचार लगते है ..वो शारीरिक मूवमेंट लाते हो, और आप समझते हो की आप मूवमेंट ला रहे हो..
कही एसा तो नहीं की आपसे सम्पूर्ण अनंत के नियमो के विरुद्ध कार्य (चाहे तो पाप कह लीजिये)करवाए जाते हो ? और आपके ही खाते में जमा होते हो ? आप ही भुगतते हो और आप बेहोशी में अनभिग्य हो ?.......बहुत बड़ी बात है.

** और जब आधिपत्य हो जाता हो तो आप (ज्योति)आधीन होते है , आप सिर्फ अपनी मनचाही दिशा में नहीं बढ सकते तभी आपको एहसास होता है की आपने क्या खो दिया.कई तांत्रिक विधि आपके शरीर को बहुत ज्यादा नुक्सान पहुचती है,जिन्हें आप हमेशा करते है,पर पता ही नहीं होता की वो तांत्रिक है , और वो नुक्सान भी समय से पूर्व समझ नहीं आता . अगर आप पहले से आधीन है ,तो इस आधीनता को जान व स्वतंत्र भी विपस्य्ना/तत्व अनुसन्धान करने पर हो सकेंगे . अतः किसी मानी हुई विधि में ना उलझकर सीधे जान ने वाली विधि विपस्य्ना / तत्व अनुसन्धान करो ,एक बार एहसास हो गया तो गुत्थिया सुलझती चली जायेंगी ...... सारे उत्तर मिल जायेंगे.,और आप(YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE)वाले बोध को प्राप्त हो जायेंगे , और बहुत कुछ जान जायेंगे. .....
उस से पूर्व ये सिर्फ एक कहानी से ज्यादा कुछ नहीं ................
** हर व्यक्ति अचानक गुस्से में केसे आ सकता है ? मतलब शक्ती एक स्थति में पहुचती है जो ज्योति के सबसे करीबी आधिकार स्थति होती हे. तो वह ज्योति की तरफ से सारे कर्म - बोलना ,सोचना ,कल्पना चलाना ........ करने की एक अलग प्रकार की प्रभावी छमता में होती है शक्ति के उस स्थति को पा लेने पर सब कुछ इतना सूक्ष्म होता है,लगता है आप ही कर रहे हो ,ज्योति इसे जागरण पर जान पाती है.चूँकि शक्ति के प्रारंभिक व बाद के लक्ष्य ब्रम्ह से अलग होते है तो शक्ति द्वारा ब्रम्ह जीव (ज्योति)को बेहोशी (जानने से पहले )में अधिकार करना फिर ब्रम्ह-जीव (ज्योति)के जागरण पर कोई विकल्प नहीं बचने पर उसी स्थति को जारी रहने देना ही सारे संसार की अशांति का मुख्य कारण है .चूँकि ब्रम्ह व शक्ति संसार के निर्माण हेतु एक दुसरे की पूरक है ,अतः हमें ऐसी कार्य योजना बनाना है जिस से हम विश्व ,प्रथ्वी को शांतिपूर्ण विकास की दिशा दे सके.

*** पुरुष के जागरण में काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद,जेसे भाव रूकावटे डालते है ,चूँकि इनको भोगने से भोक्ता भाव के संस्कार बनते है,जो राग या द्वेष के रूप में होते हे.,ये राग व् द्वेष आपकी चेतना को मुक्त नहीं होने देते.और चेतना मुक्त नहीं होने पर उर्व्ध गति को प्राप्त नहीं होती.और उसका सम्पूर्ण में लय नहीं होता.जिसे मोक्ष कहा जाता है,और वह महाबोधि को प्राप्त नहीं हो पाता.तो आप (ज्योति) इस स्थति में अपने संस्कारों की प्रोग्रामिंग के हिसाब से वही समझते है जो संस्कार दिखाते है ,मरते समय यह संस्कार समूह रहता है .... जो देवीय शक्ति के लिए "की पॉइंट" हे.,जिनको सक्रीय करके आपकी "इच्छा बेहोशी में भी जाग्रत" हो जाती हे.और इस आधार में अगले जन्म में गति की स्तिथि होती है,और आप उस महाबोधि की स्थिति से वंचित हो जाते है जहा आपको होना चाहिए था

इसलिए आप सबसे ज्यादा असुरक्षित है ,क्युकी आप जागे हुए नहीं है और जागने हेतु आपको *विपस्य्ना / तत्व ज्ञान की जरुरत होती हे.तो अभी से विपस्य्ना / तत्व ज्ञान सीख कर स्वतंत्र अन्वेसन शुरू कीजिये और विश्व को कुछ दीजिये, स्वतंत्र अन्वेसन(अकेले खोज)में आप किसी भी ट्रेनिंग सेंटर से दिशा बोध ले सकते है .पर अकेले बदने के बहुत विशेष अलग फायदे है,(आप खुद के गुरु /मास्टर/स्वतंत्र)हो सकते है सामूहिक अन्वेसन में आप अपने को समूह के अनुसार संचालित करते हो अगर आप मानसिक रूप से सम्रद्ध है और आत्म-विश्वाश से पूर्ण है तो आपको स्वतंत्र अन्वेसन पर बदना चाहिए.चेतना में मोजूद ब्रम्ह जीव माया में आपकी जात ब्रम्ह है .सारे रिसी-मुनि आँख बंद कर चेतन स्वरुप में होते है .

****YOU THE GOD - वह अद्वैत है / दूसरा कोई नहीं है / तुम ही हो / एकस्य ब्रम्ह / त्वम ब्रम्हास्मी ( पवित्र अल्लाह / पवित्र आऴ्ळूईय़ा / परम पिता / निर्वान स्थिति सर्वोच्च अवस्था है) तो वह तक की यात्रा करनी होगी.जिस तरह आटे के ढेर का अंश तत्वतः आटा ही है उसी तरह अनंत प्रकाश से प्रकट ज्योति उसी का रूप / प्रतिनिधि बन्दा है, जो तत्वतः वही है

**तत्व ज्ञान (ELEMENT KNOWLEDGE)- तत्व - वह अनंत,प्रकाश,महाचेतन्य,(चाहो तो व्यक्ति कह लो समझने हेतु) है.

***ज्ञान-तुम वही अनंत ,सम्पूर्ण (व्यक्ति)हो ये शरीर नहीं
(YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE NOT THIS PHYSICAL BODY)
कैसे जानोगे - केसे जानोगे जब तक शरीर पर बोध अटका रहेगा, विभिन्न अच्छी(राग)या बुरे लगने वाले (द्वेष)विषयों पर ध्यान को व्यस्त रखोगे ,तो अपने मूल स्वरुप पर ध्यान कैसे जावेगा ? तुम कभी संवाद ने व्यस्त रहते हो ,कभी कल्पनाओ को एक्टिवेट करते हो.तय बात जो तुम्हे समझ में आती है की जन्म और म्रत्यु के बीच ये शरीर है,क्या तुम शरीर के पहले नहीं थे? क्या शरीर के बाद तुम नहीं रहोगे ? और अगर लगता है रहोगे तो किस रूप आकार -प्रकार मै ??

*****तुम अमर हो
तुम अमर हो ये बोध कैसे लोगे ? तुम्ही प्रथ्वी का एक एक कार्य कर रहे हो ,ये जानोगे कैसे ?इस शरीर रचना के पीछे जो संचालक हे,वह UNLIMITED WHOLE है,उसने या तुम्ही ने सारे शरीर धारण कर रखे हे , मूल स्वरुप पर ध्यान हेतु प्यार, करुना, दया ,निःस्वार्थ कल्याण कार्य जरुरी है ,क्युकी अगर दूसरा शरीर / दूसरा जीव / वनस्पति तुम्ही हो तो अनजाने में अपने को इकाई (unit) शरीर मानकर इनके नुक्सान से अपनी स्थिति प्रभावित करते हो .अतः "९ पॉइंट प्रोग्राम"को नि:स्वार्थ क्रियान्वित करते रहो,स्थति अनजाने में ही बेहतर होती जायेगी.

अनुसन्धान / खोज - (एकाग्रता होश के साथ और द्वार खुल गए.)-राग,द्वेष में शामिल नहीं होते हुए ,चेतना पर होश बना कर रखे ,ना पास्ट में गोता लगाये ना फ्यूचर की उड़ाने भरे प्रजेंट में रहे बस . मतलब चेतना पर होश बना कर रखेंगे तो वो उर्व्ध्गति को प्राप्त होगी ,ज्ञान के स्टॉक में वृधि होगी .और इस तरह आपका अगला प्रयास आपके बड़े हुए ज्ञान तल से शुरू होगा -और धीरे धीरे आप उसी और बढ रहे है .... तो प्रश्न यह है की चेतना पर होश बना कर कैसे रहे / होश में कैसे रहे / प्रजेंट में कैसे रहे ...........

स्वांश पर ध्यान- श्वांश पर ध्यान सर्वाधिक सही साधन है ,जो कुछ एक्टिवेट नहीं होने देता,बस होश में रहने देता है,प्रजेंट में रहने देता है , न पास्ट ना फ्यूचर ....... ४२ घंटे अधिकतम भी प्रजेंट में रहे तो ....??
******* " दर्शन / महाबोधि / आप खुद ही है / YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE"

****शक्ती का फ़ूड है संस्कार ... जब नए विचार एक्टिवेट नहीं होते व पास्ट व फ्यूचर की विचार श्रंखलाये नहीं बनती ...तो पुराने संस्कारों को खाने लगती है ... एक समय आता है जब कोई संस्कार नहीं बचता ... और अगर आप होश मे है ... तो वो व्यापक होता है ... तो स्वांश पर ध्यान इस बोध के साथ साथ की में शरीर नहीं हु ... जारी रखे .

**"में शरीर नहीं कैसे"-- स्वाश के साथ साथ शरीर तल पर हो रही सूक्ष्म व् स्थूल संवेदनाओं को अनित्य बोध के साथ, राग व द्वेष की समता स्थापित करते हुए निरीक्षण करते जाइए .... जान जायेंगे.

**स्वांश पर ध्यान कैसे दे - पहले, स्वांश अन्दर आ रही है .... बाहर जा रही है ...देखो...निरिक्षण करो .....होश पूर्ण बने रहो ...पूरी सजगता के साथ चोकिदारी करना है.... एक एक स्वांश का हिसाब रखना है .... ध्यान भटकने ना पाए ....

*****तुम वर्तमान में रहे ...भुत व भविष्य के ख्यालो की श्रंखला से बचे जो चेतना को अटका कर व्यस्त रखते थे,....तो यह चेतना को व्यापक / उर्व्ध होने का अंतराल ....space मिला .... और उसकी वर्किंग शुरू हो गई.....तुम्हे कुछ नहीं करना हे...बस देखते जानते रहना है ,होश बना कर रखना है.... जरा चुके की पास्ट / फ्यूचर के ख्याल आये ... और तुमने चेतना को वापस ख्यालो में व्यस्त कर दिया और बोध का अवसर ख़त्म हुआ . राग व द्वेष के ख्याल आयेंगे ,उनमे इन्वोल्व ना हो कर समता(स्थिरता बिना राग,द्वेष के)बनाये रखना है.कुछ भी राग द्वेष आये तो अनित्य है...इस बोध के साथ .. स्वांश व संवेदनाओं का निरिक्षण करते रहे..इस अनुभव की प्रज्ञा स्ट्रोंग होती जायेगी .. बीच बीच में गेप बनेगा...अंतराल बढेगा...उसे बदने दीजिये ...बोध बनेगा...और व्यापक अंतराल .........................महाबोधि

पूर्व में इस ध्यान को,स्वांश ध्यान,महाचेतान्य बोध,आत्मदर्शन ध्यान,विपस्य्ना,केव्ल्य ध्यान,निराकारिता ध्यान कई नामो से जाना जाता रहा है.

बाह्य विश्व ( OUTER WORLD ) - बाह्य विश्व मै क्या आप नहीं चाहते की --
*१- आंतरिक विश्व का ज्ञान , व खुद को खोजने का ज्ञान का विषय व रास्ता सभी के पास हो,जिस से सभी आंतरिक शांति हासिल कर सके, व चेतना पर रिसर्च व ज्ञान का विकास कर सके.
लक्ष्य-१ - ध्यान केंद्र खोलना,व हर व्यक्ति के पास तत्व-ज्ञान विधि पहुचाना व सिखाना.
*२- प्रथ्वी के सम्पूर्ण देशो को मिलाकर एक देश कई राज्यों के साथ हो,( UNITED STATES OF EARTH ) जिस से आपसी युद्ध की संभावना व शोषण को ख़त्म कर विश्व शांती की और बड़ा जा सके.
लक्ष्य ३-U.S.E की दिशा मै बढना
*३-सभी क्षेत्रीय देशो को मिलाकर कई राज्यों के साथ एक देश हो,- U.S.S.A - ( UNITED STATES OF SOUTH ASIA ) जिस से आपसी युद्ध व शोषण की भावना खत्म कर सके,व U.S.E की दिशा में बड़ सके.
लक्ष्य २- U.S.S.A की दिशा में बढना.
*४- विकेंद्रीयकृत व्यवस्था में सत्ता सीधे जनता के पास हो और पुर्णतः पारदर्शी प्रणाली हो.
T.T.S-(TOTAL TRANSPARENT SYSTEM)
लक्ष्य ४ - जनता को सशक्त बनाने हेतु T.T.S की दिशा में बढना.
*५- MANAGEMENT OF UNUSED ASSETS AND MAN-POWER ( SEE-BLOG) -
लक्ष्य 5-जरूरतमंद लोगो के साथ लाखो की संख्या में JOINT-VENTURE बनाकर लाभ सिस्टम को वसीयत करना. व अर्थव्यवस्था को तीव्र वास्तविक गति प्रदान करना.
*६- जाली नोटों व भ्रस्ट्राचार के सम्पूर्ण खात्मे हेतु डिजिटल / इलेक्ट्रानिक मनी की स्थापना की दिशा में बढना.(लक्ष्य-६ देंखे ब्लाग )
*७-एक प्रोग्राम /मेथड /विधि / सिस्टम हो - जिसके तहत सभी लोग जन-कल्याण हेतु लोकल,स्टेट , नेशनल, इंटर-नेशनल लेवल पर समूह बनाकर उस लेवल की समस्याओं को O.S.S.I.N.N...(SEE IN BLOG- A SYSTOMETIC WORKING METHOD) के माध्यम से समाधान करे व सिस्टम को समर्पित करे.... और भी बहुत कुछ..
OBJECTIVE 7-( 9 POINT PROGRAMME- FOR CRIATING MANY MANY SYSTEM )
इस तरह 9 POINT PROGRAMME इंटरनल व आउटर वर्ल्ड को मेनेज करने वाला ९ प्रोसेस सिस्टम है, जिसमे ९ अलग-अलग स्तरों पर लोग खुद अपनी समस्याए पहचान कर उन्हें OSSINN के माध्यम से PROCESS कर समाधान की और बड़ते है.

*****अपन पूर्ण समाधान की ओर........APAN TOWARDS COMPLETE SOLUTION*****

MISTRY OF YOUR LIFE
-----------------------
dhyan kyu jaruri hai-

aap sarvadhik alag v ek ese alag aayam se asurakchit hai, jo aap jante tak nahi.do jagah aantrik visv v baahy visv par dhyan dena jaruri hai,tabhi bachav sambhav hai,lekin hum aantrik visv ke bare me to kuch jante hi nahi hai ??

AANTRIK VISV -
agar sharirik tal ko chod de to bramhand me(bramh) purush v stri(shakti)do ki satta hoti hai.aapko pta hi nahi ki aap sharirik tal ke bahar bramh jeev/bramh kaise hai?

*anant,prakash me se jab jyoti(aap) aati hai,to sampurn shakti(stri) us par kabja karna chahti hai aur karti hai.

* shakti ka astitv,agenda,bramh(aap)se alag hai.halaanki sristi nirman hetu dono ek dusre ke purak hai par purush ki behoshi,bhulne vali sthiti banaye rakhna,shakti ke prayas ka kendr hota hai,jitna jyada purush behoshi v bhulne vali sthti me rahega,maya/shakti ke visv ki rachna utni hi sugamta se hogi.

*kahi esa to nahi ki aapke mind me ek kendriy sthan hota ho ? jha par samast suKshm shaktiya (aadhipaty karna chahti ho aur)aapki behoshi/bhulne vali sthiti me aadhipaty karti ho ? ab vo bolte hai to aap ko lagta hai ki aap bol rahe ho, ab vo samvad karte hai to aapko vichar lagte hai... vo sharirik movement late ho aur aap samjhte ho ki aap movement la rhe ho....kahi esa to nahi ki sampurn anant ke niymo ke viruddh kary (chahe to pap keh lijiye)karvaye jaate ho? aur aapke hi khate me jama hote ho?aap hi bhugatte ho aur aap behoshi me anbhigy ho ?..........BAHUT BADI BAT HAI. Aur jab aadhipaty ho jata ho to aap(jyoti)sirf apne manchahi disha me nahi bad sakte.tabhi aapko ehsas hota hai ki aapne kya kho diya.

*kai tantrik vidhi aapke sharir ko nuksan pahuchati hai,jinhe aap hamesha karte hai aur pta hi nahi hota ki vo tantrik hai.ath kisi bhi mani hui vidhi me na ulajh kar sidhe sidhe vipassana/tatv-gyan karo,ek bar ehsas ho gya to gutthiya sulajhti chali jayengi....saare uttar mil jayenge,aur aap YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE wale bodh ko prapt ho jayenge,aur bahut kuch jaan paayenge....

USSE PURV YE EK KAHANI SE JYADA KUCH NAHI......

* Koi bhi vyakti aachanak gusse mai kaise aa sakta hai? matlab shakti ek sthiti me pahuchti hai,jo jyoti ke sabse kareebi adhikaar ki sthiti hoti hai. es sthiti me vah jyoti ki taraf se saare karm - bolna,sochna,kalpna chalana...karne ki ek alag prakar ki chamta me hoti hai,aur jyoti ese jagran par jaan payegi."chunki shakti ke prarambhik v bad ke lakshy bramh se alag hote hai" to shakti dwara bramh /jeev (jyoti)ko behoshi me adhikar karna fir bramhm/jeev(jyoti)ke jagran par koi vikalp nahi bachne par usi sthiti ko jaari rehne dena hi saare sansaar ki ashantee ka mukhy karan hai.

* chunki bramh v shakti sansaar ke nirmaan hetu ek dusre ki purak hai ath hame esi kary yojna banana hai,jisse ham visv,prathvi ko shantee purn vikaas ki disha de sake.

* purush ke jagran me kaam,krodh,lobh,moh,mad jese bhav rukaavte daalte hai,chunki inko bhogne se bhokta bhav ke sanskar bante hai,jo rag ya dwesh ke rup me hote hai,ye rag-dwesh aapki chetna ko mukt nahi hone dete.aur chetna mukt nahi hone par urvdh-gati ko prapt nahi hoti,aur uska sampurn me lay nahi hota jise mokch kha jata hai.aur vah mahabodhi ko prapt nahi ho pata,to aap(jyoti)es sthiti me apne sanskaaro ki programming ke hisab se vahi samjhte hai jo sanskar dikhate hai,deh chodte samay yeh sanskar samuh rehta hai...jo deviy shakti ke liye KEY-POINT hai,jinko sakriy karke aapki ICCHHA behoshi me bhi jaagrat ho jaati hai aur es aadhar par aagle janm me gati ki sthiti hoti hai aur aap oos mahabodhi ki sthiti se vanchit ho jaate hai jha aapko hona chahiye tha.ESLIYE aap sabse jyada asurakshit hai,kyuki aap jaage hue nahi hai aur jagne ke liye aapko vipassana/tatv-gyan ki jarurat hoti hai.To abhi se vipassana seekh kar swatantr anvesan shuru kijiye aur visw ko kuch dijiye.swatantra anvesan(akele khoj) me aap kisi bhi tranning centre se dishabodh le sakte hai,par akele badne ke bahut vishesh alag fayde hai,( aap khud ke guru/master/swatantr) ho sakte hai.aur samuhik anvesan ke alag fayde hai.saamuhik anvesan me aap apne ko samuh ke anusaar sanchalit karte ho,agar aap maansik rup se samraddh hai,aur aatm-vishvaash se purn hai to aapko swatantra-anvesan par badna chahiye.

" YOU THE GOD "

VHA ADVAIT HAI / MAHACHAITANY HAI / DUSRA KOI NAHI HAI / TUM HI HO /EKSY BRAMH / TVAM BRAMHASMI ( PAVITRA ALLAH / PAVITRA AALELUYA /PARAM PITA / NIRVAN STHITI ... SARVOCHH AVASTHA HAI...TO VHA TAK KI YAATRA KARNI HOGI..(YAATRA KAISE KARE ? VIVRAN NICHE DIYA HAI)USKE BINA MAATR MAAN-NE SE BHRM/AVISVAASH/VIVADO MAI PAD JAOGE.... JIS TARAH AATE KE DHER KA ANSH TATVTAH AATA HI HOTA HAI,USI TARAH ANAT PRAKASH SE PRAKAT JYOTI USI KA RUP / PRATINIDHI BANDA HAI,...JO TATVTAH VHI HAI...

TATV-GYAN / ELIMENT KNOWLEDGE /BRAMH GYAN/KHUD GYAN

TATV - VHA ANANT, PRAKASH,MAHACHETANY ........
(CHAHO TO VYAKTI KEH LO SAMJHNE HETU) HAI.
GYAN - TUM VHI ANANT SAMPURN (VYAKTI) HO YE SHAREER NAHI .
( YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE NOT THIS PHYSICAL BODY )

KAISE JAANOGE --

* KESE JANOGE JAB TAK SHAREER PAR BODH ATKA RAHEGA ?
* VIBHINN ACHHI (RAAG)YA BURE LAGNE WALE (DWESH)VISYO(SUBJECT)PAR DHYAN KO VYAST RAKHOGE TO APNE MOOL SWARUP PAR DHYAN KAISE JAYEGA ?
TUM KABHI SAMVAAD MAI VYAST REHTE HO...KABHI KALPNAAO KO ACTIVATE KARTE HO... TAY BAAT JO TUMHE SAMAJH AATI HAI KI JANM AUR MRATYU KE BEECH YE SHAREER HAI.
KYA TUM SHAREER KE PEHLE NAHI THE ? AUR KYA SHAREER KE BAAD TUM NAHI RAHOGE ? AUR AGAR LAGTA HAI RAHOGE TO KIS RUP/AAKAR-PRAKAR MAI ??

" TUM AMAR HO "
----------------
TUM AMAR HO YE BODH KAISE LOGE ? TUMHI PRATHVI KA EK-EK KARY KAR RAHE HO,YE JANOGE KAISE ?
ES SHAREER SRASTI KE PICHE JO SANCHALAK HAI,VAH UNLIMITED WHOLE HAI.
USNE YA TUMHI NE SAARE SHAREER DHAARAN KAR RAKHE HAI.
MUL SWARUP PAR DHYAN HETU PYAR,KARUNA,DAYA,NISWAARTH KALYAAN KAARY JAROORI HAI- KYUKI AGAR DUSRA SHAREER/DUSRA JEEV/VANASPATI TUMHI HO TO ANJAANE MAI APNE KO IKAI(UNIT)SHAREER MAAN KAR INKE NUKSAAN SE APNI STHTI PRABHAVIT KARTE HO..
ATH 9 POINT PROGRAMME KO NIH-SWARH KRIYANVIT KARTE RHO,STHITI ANJAANE MAI HI BEHTAR HOTI JAAYGI.

"ANUSANDHAN"/ "KHOJ"
----------------------
EKAGRTA HOSH KE SAATH....AUR DWAR KHUL GAYE
RAAG, DWESH MAI SHAMIL NAHI HOTE HUE,...CHETNA PAR HOSH BNA KAR RAKHE ..NAA PAST MAI GOTA LAGAYE .....,NAA FUTURE KI UDANE BHARE...
PRESENT MAI RAHE BAS.....
* MATLAB CHETNA PAR HOSH BNA KAR RAKHENGE TO VO URDHV GATI KO PRAAPT HOGI
* GYAN KE STOCK MAI VRADHHI HOGI....AUR ES TARAH AAPKA AGLA PRAYAAS AAPKE BADE HUE GYAN TAL SE SHURU HOGA...AUR DHEERE DHEERE AAP USI AUR BAD RHE HAI
TO PRASN YAH HAI KI CHETNA PAR HOSH BNA KAR KAISE RAHE ??
HOSH MAI KAISE RAHE ?? PRESENT MAI KAISE RAHE ??

"SWANSH PAR DHYAN"
--------------------
SWANSH PAR DHYAN SARVAADHIK SAHI SAADHAN HAI, JO KUCH ACTIVATE NAHI HONE DETA, BAS HOSH MAI REHNE DETA HAI...NAA PAST...NAA FUTURE...42 GHANTE ADHIKTAM BHI PRESENT MAI RHE TO ........................ ?????

"DARSHAN / MAHABODHI / YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE / AAP KHUD HI HAI"

SHAKTI KAA FOOD HAI SANSKAAR...JAB NAYE VICHAR ACTIVATE NAHI HOTE .. VA PAST VA FUTURE KI VICHAR SRANKHALAYE NAHI BANTI....TO VO PURANE SANSKAARO KO KHANE LAGTI HAI....EK SAMAY AATA HAI JAB KOI SANSKAAR NAHI BACHTA...AUR AGAR AAP HOSH MAI HAI.... TO VO VYAAPAK HOTA HAI...TO SWANSH PAR DHYAN ES BODH KE SAATH KI MAI SHAREER NAHI HU................ J A A R I RAKHE...

"MAI SHAREER NAHI KAISE"
--------------------------
SWANSH KE SAATH SAATH SHAREER TAL PAR HO RHI SUKSHM VA STHOOL SAMVEDNAO KO ANITY BODH KE SAATH RAAG VA DWESH KI SAMTA STHAPIT KARTE HUE NIRIKSHAN KARTE JAAIYE............... JAAN JAYENGE.

"SWANSH PAR DHYAN KAISE DE"
---------------------------
PEHLE,SWANSH ANDAR AA RHI HAI..... BAHAR JAA RHI HAI..... DEKHO......
NIRIKSHAN KARO........ HOSH PURN BNE RHO .......... PURI SAJGTA KE SAATH CHOKIDAARI KARNI HAI ............... EK EK SWANSH KA HISAAB RAKHNA HAI..... DHYAN BHATKNE NAA PAYE .....

TUM PRESENT MAI RHE ...... PAST VA FUTURE KE KHYALO KI SRANKHLA SE BCHE, JO CHETNA KO ATKA KAR VYAST RAKHTE THE ...... TO YHA CHETNA KO VYAPAK / URDHV HONE KA ANTRAAL ..... SPACE MILA ...... AUR USKI WORKING SHURU HO GAYI ..... TUMHE KUCH NAHI KARNA HAI ..... BAS DEKHTE .. JAANTE.. REHNA HAI, HOSH BNA KAR RAKHNA HAI .... JRA CHUKE KI PAST/FUTURE KE KHYAL AAYE ... AUR TUMNE CHETNA KO VAPUS KHYALO MAI VYAST KAR DIYA AUR BODH KA AVSAR KHATM HUA. RAAG VA DWESH KE KHYAL AAYENGE, UNME INVOLVE NAA HO KAR SAMTA(STHIRTA BINA RAAG,DWESH KE)BANAYE RAKHNA HAI. KUCH BHI RAAG DWESH AAYE TO VO ANITY HAI ... ES BODH KE SAATH .... SWANSH VA SAMVEDNAAO KA NIRIKSHAN KARTE RHE ... ES ANUBHAV KI PRAGYA STRONG HOTI JAYEGI .....
BEECH - BEACH MAI GAPE BANEGA ... ANTRAAL BADEGA ... USE BADNE DIJIYE .. BODH BANEGA .... AUR VYAPAK ANTRAAL ......................................
.... "M A H A B O D H I / K E V A L Y - G Y A N / B R A M H - G Y A N"

ES TATV DHYAN KO,SWANSH DHYAN,MAHACHETY BODH, AATM DARSHAN DHYAN,VIPASYNA,NIRAKARITA DHYAN,AAP HI ADWET DHYAN,AAP HI KEVALAA(AKELE)HO-KEVALY DHYAN,BHAGWAN KHA ?DHYAN , YOU ARE THE UNLIMITED WHOLE MEDITATION... AADI AADI NAMO SE JANA JATA RHA HAI.HAME NAMO ME NA PADKAR VIDHI/TARIKA/RASTE PAR DHYAN DENA HAI JO KI EK HI HAI.
KHUD KA GYAN BHI HAMARE PRATHMIK LAXYO ME HONA CHAHIYE,AUR AGAR YAH KHUD KE BAL PAR KAR SKE,BINA NIRBHAR HUE .. TO AADHYATMIK TOR PAR NAVEEN RACHNA KE LIYE SWATANTR HO SAKENGE YA VIDHMAAN AADHYATMIK VYAVASTHAO ME AUR ADHIK MAJBUTI SE JUD SAKENGE.

INNER WORLD/AANTRIK VISW KA GYAN VA KHUD KE AADHYATMIK SWARUP KA GYAN- "NINE POINT PROGRAMME" KE MUKHY LAXYO ME SE EK HAI.

"B A A H Y V I S W / O U T E R W O R L D"
-------------------------------------------------
BAHYA VISV MAI AAP KYA NAHI CHAHTE KI -
*1- INTERNAL WORLD KA GYAN VA KHUD KO KHOJNE KA GYAN KA VISAY VA RAASTA SABHI KE PASS HO JIS SE SABHI INNER PEACE HASIL KAR SAKE VA CHETNA PAR RESEARCH V GYAN KA DEVELOPMENT KAR SKE.(OBJECTIVE-1)-MEDITATION CENTRE
KHOLNA VA HAR VYAKTI KE PASS TATV-GYAN VIDHI PAHUCHANA VA TRANNING DENA.

*2- PRATHVI KE SAMPURN DESHO KO MILAKAR EK HI DESH KAI RAAJYO KE SAATH HO (UNITED STATES OF EARTH)JIS SE AAPSI YUDDH KI SAMBHAVNAAO VA SHOSAN KO KHATM KAR VISV SHANTI KI AUR BDA JAA SKE.(OBJECTIVE-3)-U.S.E KI DISHA MAI BADNA.

*3- SABHI KSHETRIY DESHO KO MILAKAR KAI RAJYO KE SAATH EK DESH HO,JESE-USSA (UNITED STATES OF SOUTH ASIA)JIS SE AAPSI YUDDH VA SHOSHAN KI SAMBHAVNA KHATM KAR SAKE VA U.S.E KI DISHA MAI BAD SKE.(OBJECTIVE-2)- U.S.S.A KI DISHA MAI BADNA.

*4- VIKENDRIKRAT VYAVASTHA MAI SATTA DIRECTLY JANTA KE PASS HO AUR PURNTAH PAARDARSHI PRANALI HO,(TOTAL TRANSPARENT SYSTEM).
(OBJECTIVE-4)-JANTA KO SASHAKT BANANE HETU T.T.S KI DISHA MAI BADNA

*5- MANAGMENT OF UNUSED ASSETS AND MAN-POWER.(OBJECTIVE-5-SEE BLOG)-NEEDY PEOPLE KE SATH LAKHO KI SANKHYA ME JOINT VENTURE BNAKAR PROFIT SYSTEM KO VASIYAT KARNA VA AARTVYAVASTA KO REAL GATI PRADAN KARNA.

*6- JAALI NOTO VA BHRSTACHAR KE SAMPURN KHATME HETU DIGITAL/ELECTRONIC MONEY KI STHAPNA KI DISHA ME BADNA.(OBJECTIVE-6-SEE BLOG)

*7- EK PROGRAMME HO,METHOD HO,VIDHI HO JISKE TAHAT SABHI LOG JAN-KALYAN HETU LOCAL,RAAJY,RAASTRIY,ANTAR-RASTRIY LEVAL PAR SAMOOH BNAKAR,US ESTR KI SAMSYAAO KO OSSINN(SEE IN BLOG- A SYSTOMATIC WORKING METHOD)KE MADHYAM SE SAMADHAN KARE VA SYSTEM KO SAMARPIT KARE ... AUR BHI BAHUT KUCH.
(OBJECTIVE-7- 9 POINT PROGRAMME-FOR CRIATING MANY MANY SYSTEM)

ES TARAH "9 POINT PROGRAMME" 6 BIGGAR OBJECTIVE KE ALAWA INTERNAL W OUTER WORLD KO MANAGE KARNE WALA 9 PROCESS SYSTEM HAI JISME 9 DIFFRENT LOCATION PAR PEOPLE KHUD APNI SAMSYAE PEHCHAN KAR UNHE OSSINN KE MADHYAM SE PROCESS KAR SAMADHAN KI AUR BADTE HAI.

APAN TOWARDS COMPLETE SOLUTION

2- WHAT IS "APAN TOWARDS COMPLETE SOLUTION"

"APAN TOWARDS COMPLETE SOLUTION"- एक वैश्विक व्यवस्था है, जिसमे मानव की आध्यात्मिक उन्नति व विश्व के चोतरफा विकास हेतु स्पस्ट दिशा निर्देश दिए गए है। यहाँ जिन्दगी और आध्यात्मिक जिन्दगी की सभी समस्याओ के समाधान के रूप मे विप्पसना व नाइन पॉइंट प्रोग्राम को प्रस्तुत किया गया है । यह एक मिशन है जो सभी धर्मो का प्रतिनिधि है ,सार है, जो जिन्दगी को पूर्ण समाधान की और प्रवाहित करता है। यह एक विशुद्ध रूप से सभी धर्मो का केन्द्रीय सिस्टम है , जो तत्व ज्ञान की पेरवी करता है। इसका फलसफा है,की पहले विप्पसना के द्वारा उस सर्व-व्यापक महा बोध को जानेगे ,फिर सृद्धानुसार कोई भी धर्म में जा सकते है,रुक सकते है या कोई नई रचना कर सकते है,लेकिन पहले चेतना पर ३६ से ४५ साल , या उपलब्ध होना जो पहले हो, तक रिसर्च एंड डेवलपमेंट जरुर करेंगे। ये तो हुई इनर वर्ल्ड की बात, आउटर वर्ल्ड के लिए ९ पॉइंट प्रोग्राम के द्वारा छोटे बड़े ऑब्जेक्टिव तय करेंगे ,एचीव करेंगे ,और वर्ल्ड को बेहतर व एक बनायेंगे। जेसे मिशन यूनाइटेड स्टेट्स आफ अर्थ + यूनाइटेड स्टेट्स आफ साऊथ एशिया +टोटल ट्रांसपरेंट सिस्टम व अन्य...

AN MEETING WITH GOD / YOU ARE THE UNLIMITED UNIVERSAL WHOLE - WAY

what is vippasana ->
vipassana is an age old meditation technique of india. it touches the inner layers of mind for self evaluation
and mind purification, so that one can become Omani present like unlimited universal whole... this technique include monitoring of once natural breathing and becoming aware of minor and major changes occurring in mind and body.sensation which reaches to your conscious mind by six ways ( like - mind, nose, ears, eyes, skin, tong) gives the product like good feel or bed feel. As the person realise it in same way ( good or bed feel) and accept enjoy or suffering mental status, The sensation will stores them self in mind in the form of very small Sankara's ( that Sankara's will hold ed by female power and will comes in your imagination again according to time {the willingness of female power}.And that time that Sankara's activate your internal dialog and feeling again by which again new Sankara's crated and you will never come out with this cycle.) At the time of death these group of various small Sankara's will be in existence. since after death there is not any system to process these Sankara's,hence activation of any single Sankara can motivate your energy towards next birth. After taking new body ( next birth) by your energy, masters reaches from different system to this body system. Then starts opening of new birth, new challenges, new unconsciousness , new serious mistakes in initial armatured mental status and spoiling of life in suffering of the result of those serious mistakes. And this chain will continue ........So we must stop the Creation of Sankara's, means we must do the practice of keeping Nobel silence , and to close internal dialogs. we should not take that good or bed feel product ,which can convert in Sankara's.we must just observe that , know that , be unbiased , and observe its law of impermanence.so by this method we are not crating new Sankara's WE CAN REMOVE OLD ONE Sankara's food of energy is Sankara. If these Sankara's is not available to energy then she starts eating old Sankara's. At one stage all old Sankara's finished and new is not creating , at that point all impermanent thing will finished.THEN PERMANENT THING WILL COMES IN PICTURE So above all is mind related purification, but here one must do observation of body along with mind also, reason is- sensation effect the body cells also. here is an direct link. So from head to feet one must observing mental and physical sensation with unbaisness , with sense of impermanence , with non creation of good or bad feel SANKARA, with maintaining equality , balanced attitude .
"BY THIS REGULAR PRACTICE ALL MISERIES WILL OPEN"
god

4-एक मुलाकात भगवान से- रास्ता- विप्पसना / tatv-gyan

विप्पसना/TATV GYAN क्या है--

जीसस me pita , muslim me अल्लाह ,hinduo में नीराकार bramh,बोद्धो me निर्वाण sthiti मतलब हम सभी के परम पिता म्हाचेत्न्य से साक्षात्कार का रास्ता विप्पसना सामने है , जो एक विधि साधना है,रास्ताहै,धर्मसंप्रदाय,रिलिजन , मजहब...नही!
विप्पसना भारत की अत्यंत पुराणी साधना विधि है! यह अन्तर-मन की गह्रइयोतक जाकर आत्म-निरिक्षणद्वारा आत्म्सुद्धि कर सर्व-व्यापक भगवान की तरह सर्व-व्यापक होने कीसाधना है!अपने स्वाभाविक स्वांस के निरिक्षण सेआरम्भ करके अपने ही सरीर और मन धारा पर पल पल होने वाली परिवर्तन-शील घटनाओ को तटस्थ भाव से निरिक्षण किया जाता है! सेंसेसन (संवेदनाये) मतलब जो आपकी चेतना तक किसी भी तरह के स्पर्श जो ६ इन्द्रियों(मन नाक कान त्वचा जीभ आँख) के माध्यम सेपहुचते है !यह स्पर्श आपको सुख ++ और दुःख ++ की फीलिंगहै!जेसे ही इनको एह्सासित (भोक्ता भावः) सेकिया जाता है !इनका एक परमाणु संस्कार स्टोर हो जाता है !(एस बीजको देवीय शक्ति होल्ड करती है,जो उनके समय के अनुसार सामने आता है और आपके संवाद और फीलिंग को संचालित करता है)मरते समय यह संस्कार समूह रहता है,और किसी संस्कार का एक्टिवेशन आपकी चेतना को दुसरे जन्म की और प्रेरित करता है,क्युकी उस समय संस्कार समूह को प्रोसेस करने का सिस्टम नही होता !आपकी चेतना द्वारा सरीर लेते ही दुसरे सिस्टम से गुरु पहुचते है और फ़िर नया जन्म नई चुनोतिया नई बेहोशी और अपरिपक्वता में हुई गलतिया और उनको भोगने में पुरा जीवन गया, या कड़ी टूट टी नही है श्रंखला चलती .....
esliye इस parmanu संस्कार को बन ने ही नही देना चाहिए मतलब (अन्दर संवाद katam और arya mon) oosसुख या दुःख के product को नही लेकर,oose जान ना है tatsth rehna है,उसकी aanityta को देखना है!to इसsthti में आप कोई संस्कार नही banne दे rhe ! चेतना का food है संस्कार ! अगर vo उसे नही मिलता to voपुराने sanskaro को खाने लगती है!एक समय सारे संस्कार khtm हो jate है और नए बनते नही है!जब anity saari chije khatm हो jati है tab जो nity है vo सामने आता है!
to ये हुआ मन का निरिक्षण! पर yha मन के sath body की samvednao का भी निरिक्षण करना होता है क्युकी उनका prabhav body के sel पर भी पड़ता है, yha direct link है!
to yha sir se लेकर पाँव तक body को भी निरंतर देखते जाना है,और utpann mansik व sharirik samvednao को tatsth, anity बोध के साथ samta pust karte hue jan te jana hai aur iske nirantar pryas se sare rahsy khulte jayenge.

5-you are that unlimited whole

vippasna method-( please translate from hindi language to english language from page 4 )

maximum matter here is in hindi language,please translet it in your language.

6-what is nine point programme...

WHAT IS NINE POINT PROGRAMME ?
"MISSION UNITED STATES OF SOUTH ASIA AND MISSION UNITED STATES OF EARTH"


DIRECTIVES :


A universal government consisting of many national and state government, a society with humanity as a religion , bringing all competition and wars to an end and working together to create , protect and preserve our beautiful earth.


HOW TO ACHIEVE THIS ?


Aimless mind , irresponsible for aimless life . So it is important to create a programme which will help us to find solution at personal and social level as a whole., So that one can look beyond personal level and think at universal level for common good and progress of mankind, for this NINE POINT PROGRAMME has been designed.




NINE POINT PROGRAMME


Point 1 - Towards Oneself


Is health ignored or properly looked after.

1. Proper major to be taken to identify and get rid of present and future ailments.

2. Regular habit of Yoga and Meditation.

3. Arrangement of healthy food and other things for good health.

4. Working towards becoming self dependent (finance)

5. Proper management of regulations , time and money for various programme.

6. Becoming a direct touch with self finding process like vippasna/tatvgyan


Point 2 - Towards Family

Including family also in above mentioned six points.

Point 3 - Towards Society

a) Proper arrangement for needy , helpless and old people.

b) Proper arrangement for all living beings .

c) Working towards nature and earth.

Point 4 - Towards local level (city level)

Make programme at local level to fix goals and towards achieving them.

Point 5 - At state level

To fix goals at state level and form groups to achieve them .

Point 6 - At national level.

How and what are our requirements those have to be identified and achieved through team work at national level.

Point 7 - At international level

Identifying our goals at international level and working together to achieve them.

Point 8 - management and administration of 9 point programme and other objective.

Administration and management of the mission related matters and Those objectives which are not included in above seven point will be included in 8 point.

Point 9 - Self finding process

We will link our self to scientific meditation technique for our spiritual development ( vippasna/tatv-gyan ) . By practicing it regularly half an hour every day and also making our children practice this technique so that a new spiritually developed generation could be formed.